Monday, 8 August 2011

उदासी भरे दिन कभी तो ढलेंगे

कहा तक ये मन को अंधेरे छलेंगे,
उदासी भरे दिन कभी तो ढलेंगे,
कभी सुख कभी दुख यही ज़िंदगी है,
ये पतझड़ का  मौसम घड़ी दो घड़ी है,
नए फूल  कल फिर डगर  में खिलेंगे.....
उदासी भरे दिन कभी तो ढलेंगे,
भले तेज कितना हवा का हो झोंका,
मगर अपने मन में तु रख  ये भरोसा,
जो बिछड़े सफर में  तुझे फिर मिलेंगे...
उदासी भरे दिन कभी तो ढलेंगे.....!!!!

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