Thursday 24 November 2011

सोफ्टवेयर इंजीनियर का जीवन

अपने project के बोझ तले दबा जा रहा है,
वो देखो एक सोफ्टवेयर इंजीनियर जा रहा है.

हजारो की तन्ख्वा वाला , करोडो की जेब भरता है.
सोफ्टवेयर इंजीनियर वही बन सकता है जो जिगर रखता है.
अपने PM और TL की रोज गालिया सुनता है.
पर वीक-एंड (weekend) को जो रोज याद रखता है.
अपने ही kaam se mara jaa raha h,
वो देखो एक सोफ्टवेयर इंजीनियर जा रहा है..

कोडिंग करते – ...करते पता ही नही पड़ा कब बग्स की प्रिओरिटी माँ -बाप से ज्यादा हो गयी.
किताब मैं गुलाब रखने वाला , कब सिगरेट के धुए मैं खो गया.
वीक-इंड्स (weekends) पर दारु पी कर जो जश्न मना रहा है.
वो देखो एक सोफ्टवेयर इंजीनियर जा रहा है..

जीन्‍दगी से हारा हुआ है; पर bugs से हार नही मानता हे.
अपने application की एक-एक line ये जनता है.
दिन पर दिन , एक एक program फाईल बनाता जा रहा है;
वो देखो एक सोफ्टवेयर इंजीनियर जा रहा है..

दस हजार लाईन के कोड मे error ढूंड लेता हे;
लेकिन दोस्‍त के दिल की बात नही.
कंप्युटर पर हजार window खुली है;
पर दिल की खिडकी पर कोई दस्‍तक नही.
week-ends को नहाता नही; पर weekdays नहाता है.
वो देखो एक सोफ्टवेयर इंजीनियर जा रहा है.

खरचे बढ़ रहे है, बाल कम हो रहे है.
appraisal की डेट आती नही, इनकम टैक्स के सीतम हो रहे है.
लो फ़िर से company की बस (cab) छुट गयी , वो देखो आटो (auto) से आ रहा है.
वो देखो एक सोफ्टवेयर इंजीनियर जा रहा है.

ऑफिस की खाने थाली देख अपना मुह बिगड़ता है.
माँ के खाने को रोज याद करता है.
रोज लंच मैं (sudexho) कूपन और शाम को स्नेक्स (sneks) से काम चला रहा है.
वो देखो एक सोफ्टवेयर इंजीनियर जा रहा है.

आपने अब तक ली होंगी बहुत सी चुटकिया,
सोफ्टवेयर इंजीनियर के जीवन का सच बताती ये कुछ आखरी पंकतिया.
इस कविता का हर शब्द मरे दिल की गहराई से आ रहा है.
वो देखो एक सोफ्टवेयर इंजीनियर जा रहा है...

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